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Memories of SBH on foundation day माँ का आँचल

 

आज जब कि सब लोग मश्गुल है जश्न मनाने में

कुछ लोग है खोए खोए से अपने मन में ॥१॥

जिन्हे यकीन था कि माँ का आँचल कभी दूर नही होगा उनसे

आज अचानक लग रहे है मेले में माँ से बिछडे हुए बच्चे से ॥२॥

याद आ रहे है वो बचपन के दिन सुहानेसे

जब माँ कि गोदी में खेलते थे खतरोंसे अनजानसे ॥३॥

एक सुहानीसी दुनिया थी हमारी भाईचारेकी

जहाँ खुशी और दर्द बांटा जाता था आपसमें प्यारसे ॥४॥

एक साथ पले, बढे, खेले, कूदे इस माँ कि आँचल कि छायामें

आज उस माँ का आँचल ही बिछड गया इस मेले में ॥५॥

बेशक़ हमें मिल रही है एक पह्चान नई

हमारी माँ से भी खूबसूरत एक माँ नई ॥६॥

लेकिन अनजानेसे चेहरोमे कहाँ खो जाएंगे हम

अपने अस्तित्व को न जाने कहाँ ढूंढेगे हम ॥७॥

उस चकाचौंध की दुनिया में ऐ माँ

तेरी यादो के सहारे जी लेंगे हम!! ॥८॥

 

माधव भोपे in April 2017


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